कौन रोकता है
दिव्य
(3 मिनट )
कोशिश होती है रोकने की
बहते दरिया को
बैठे समंदर को बैठने से
कौन रोकता है
कूप-समाधि
Poetry, Minakhi Misra
(3 min read)
कौन होगा ऐसा
जो आँखों की तरपौलिन हटा कर
मेरे मन में झाँक सकेगा?
‘गर तू मेरा शिवालय बन जाए …
Poetry, Shantanu Jain
(3 min read)
प्रेम सिंधु का तुझसे आदि,
तू गोधूलि, तू ही निशांत।
डब्बे
Poetry, Minakhi Misra
2 min read
जाने का वक़्त आया तो समझ नहीं आ रहा था
क्या लूँ और क्या छोड़ जाऊं।
चार सालों का बोझ महसूस हो रहा था दिल पर।
कपडे तक कफ़न लग रहे थे।
जवाब-तलाशी
Poetry, Minakhi Misra
2 min read
कुछ जवाब किताबों में ढूंढता था पहले…
अब लगता है आपकी बातों में ही मिल जाएँगी वह सब।
अल्मोड़ा
Non-fiction, Shantanu Jain
(5 min read)
‘सन्नाटा’ शब्द मेरे लिए भयावहता का शब्द-चिह्न है और ‘शांति’ मेरे लिए सुकून का पर्याय है
ट्रैन की खिड़की
Poetry, Minakhi Misra
(2 min read)
नींद का बोझ मुश्किल से संभाल रहा हूँ।
खुदसे नज़र मिलाने के लिए भी तो
पलकों का भर उठाना पड़ता है।
क्यों याद आते हो?
Poetry, Minakhi Misra
(3 min read)
क्यों याद आते हो बत्ती बुझाता हूँ जब
रूम फ्रेशनर की खुसबू में क्यों याद आते हो?
ध्यान से उतरें
Divya Soni
(3 min read)
आँखें जमी
अड़ी
मोबाइल की स्क्रीन पर
खुदके
दूसरों के
विरासत
Minakhi Misra
(3 min read)
पच्चीस का होने वाला हूँ।
बालों में अब चांदी आने लगी है।
गली खत्रियान , अबुपुरा , मुज़फ्फरनगर
शांतनु जैन
(3 मिनट) खुला आँगन , खुले आँगन में पसरी धूप , एक कोने में ऐंठा – सा खड़ा हरे रंग का हैंडपंप, बाईं ओर से ऊपर जाने वाला चौड़ा जीना, उस चौड़े जीने की गहरी लाल सीढ़ियां और ….
निशाचरणी
Poetry, Shantanu Jain
(3 min read)
स्वप्न – लोक में हृदय नहीं रमता –
पर तुम ब्रह्माण्ड तरा जाती।
तुम अभिरामि , तुमको मैं निहारूँ –
ऐसा सम्मोहित कर जाती।
न मैं उस से
Poetry, Divya Soni
(4 min read)
न मुझसे प्यार करती है वो अब
न मैं उस से।
न मेरे बारे में सोचती है
न मैं उसके।
असमंजस
Ritu Poddar
(3 min read)
जो मिला वो चाहिए नहीं
क्या चाहिए ये पता नहीं
पता अगर है मिला नहीं
मिला अगर तो बहुत नहीं
सपनो की उधेड़बुन
Poetry, Ritu Poddar
(3 min read)
रंग बदल के लाई हूँ, पिछ्लो से कुछ बना नहीं…
बैठी देर सब काम छोड़, पर एक सिरा भी जुड़ा नहीं…
5 रूपए की कैंडी
Poetry, Divya Soni
(3 min read)
हर आइस क्रीम
मिलती है उसके पास
5 रूपए की कैंडी
और 300 का पैक
मैं लिखता क्यों हूँ
Non-fiction, Shantanu Jain
(5 min read)
मन की सुनूँ और सुनकर गौर करूँ तो पाता हूँ कि जहाँ तक मेरी बात है, मैं तब लिख पाता हूँ जब हृदय की आर्द्रता अपने गागर को पार कर जाती है।
From School Dairy – आख़िरी पैगाम
Poetry, Mani Mahesh
(3 min read)
आज शाम फिर एक पैगाम लाई है
ये गुमनाम हवा किसी का नाम लाई है
मेरा कर्म
By Abhishek Yadav
(3 min read)
हे प्रेम , मुझे कमजोर, रणछोड़क मत कहना ,
ह्रदय विदारक , भाव विनाशक मत समझना
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